सामूहिक कार्य के प्रतीक बन चुके माइकल जॉर्डन के लिए टीम का स्वामी बनने का सफर आसान नहीं रहा था। क्या आप जानते हैं कि किसी भी पेशेवर के लिए सबसे मुश्किल क्षण कब आता है? जब वह सहकर्मी से अधिपुरुष (बॉस) या स्वामी (ओनर) बनता है। क्योंकि, अब तक वह जिन लोगों का मित्र था, वे अचानक उसके सहकर्मी बन जाते हैं। यह कोई आसान काम नहीं होता है। माइकल जॉर्डन के सामने भी यही चुनौती आई थी, जब वे नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन (एनबीए) की फ्रेंचाइजी टीम ‘शेर्लोट होरनेट्स’ का स्वामी बन गए थे।
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